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ब्रह्माकुमारी कविता की हालत में सुधार, मगर नहीं हुए बयान
भास्कर न्यूज -!- सिरसा
सी ब्लॉक स्थित सद्भावना भवन में रहने वाली ब्रह्माकुमारी कविता की हालत में रविवार सुबह थोड़ा सुधार हुआ है मगर अभी वह बोलने के काबिल नहीं है। पुलिस ने उसके बयान नहीं दर्ज किए हैं।
बता दें, कि बुधवार रात को ब्रह्माकुमारी कविता की हालत अचानक बिगड़ गई थी। उसे सद्भावना भवन की इंचार्ज प्रीति ने निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां से उसे एक अन्य अस्पताल में भर्ती कराया जहां वह वेंटीलेटर पर थी। उसका इलाज चल रहा है। लेकिन यह बात अभी तक साफ नहीं हो पाई है कि आखिर उसकी तबीयत कैसे बिगड़ी।
बताया गया है कि ब्रह्माकुमारी कविता थेहड़ मोहल्ला की रहने वाली है। वह 1ि4 साल से बतौर साध्वी सद्भावना भवन में रह रही है। भवन की संचालिका ने कहा था कि उसकी हालत विषाक्त भोजन खाने से बिगड़ी है। अब सवाल यह है कि भोजन सभी ने खाया था तो कविता की हालत ही क्यों बिगड़ी। दूसरा सवाल यह है कि अगर उसने जहर खाया है तो जहर सद्भावना भवन में कैसे आया जबकि वह भवन से बाहर भी नहीं जाती थी।
कविता 14 साल पहले उस वक्त सद्भावना भवन के आश्रम में आई थीं, जब बहन कृष्णा इस आश्रम की संचालिका थीं। बहन कृष्णा के देहांत के बाद बहन प्रीति को आश्रम का कार्यभार सौंप दिया गया। आश्रम की संचालिका प्रीति ने कहा कि घटना वाले दिन जब सभी साध्वियां रात साढ़े 10 बजे अपने अपने कक्ष में सोने के लिए चली गई तो कविता ने अपने लिए दूध बनाया था। यह दूध पीने के बाद उसे उल्टियां होने लगीं। उसे तुरंत डॉ. जीके अग्रवाल के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। डॉक्टर के पूछने पर कविता ने यह कहा था कि उसने कुछ खाया है। उस अस्पताल में उपचार के बाद कविता को डॉ. योगेश सांगवान के अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया जहां उसे वेंटीलेटर पर रखा गया। उन्होंने बताया कि वे खुद इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि आखिर कविता ने ऐसा क्या खा लिया जिससे उसकी हालत बिगड़ी। बहन प्रीति के मुताबिक जिस रात को यह घटना हुई, उस रात से पहले कविता की मां उससे मिलने आई थी और उन्होंने अपने परिवार से संबंधित दो ढाई घंटे बात भी की थी। क्या बात हुई, उन्हें नहीं पता। हफ्ता भर पहले कविता के भाई जो नासिक में वायुसेना अधिकारी है, भी आश्रम में बहन से मिलने के लिए आए थे। आश्रम संचालिका प्रीति की ही मानें तो बहन कृष्णा के देहांत के बाद वह बुझी सी रहती थी, किसी से \'यादा बात नहीं करती थी।
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